Naag Lok Ke Raja Basik Ki Kahani Second Part-2
जब राजा बासिक रानी को रोता हुआ छोड़कर महल से दरबार पहुंचे तो उन्हें पता लगा कि पृथ्वी लोक के राजा पारिक ने उनके नाम एक संदेशा भेजा है। जिसमें राजा पारिक ने अपने महल में राजकुमार होने की खुशखबरी जाहिर कर बताई है।
संदेशे में लिखा था –
प्रिय मित्र राजा बासिक,
मुझे आपको बताते हुए अति प्रसन्नता हो रही है कि हमारी रानी ने एक सुंदर और साहसी राजकुमार को जन्म दिया है। जन्म कुंडली दिखाने पर राज्य के पंडितों ने बताया कि राजा काफी अच्छे नक्षत्रों में जन्मे है इसलिए उनका नाम परीक्षित निर्धारित किया गया है। हम उम्मीद करते हैं कि आप की ओर से भी खुशखबरी जल्द सुनने को मिलेगी।
हमारी तरफ से आप सभी को नमस्कार
आपका प्रिय मित्र,
राजा पारिक
यह समाचार सुनते ही राजा बासिक सुन्न रह गए। मानो एक – एक शब्द ने उनके हृदय पर जैसे आत्मघाती हमला किया हो। राजकुमार के नाम से अब राजा बासिक की चिंता और बढ़ने लगी थी। दूसरी तरफ रानी किसी भी हालत में अपनी राजकुमारी को बचाना चाहती थी जिसके लिए रानी ने मन ही मन एक योजना बनाई और अपनी सबसे भरोसेमंद बांदी (नौकरानी) को बुलाया और बोली……
रानी (बांदी से) – देखो बांदी तुम्हे तो याद ही होगा जब मैं ब्याह कर इस राज्य में आई थी तब मेरे पिता जी ने तुम्हे हमारे साथ भेजा था ताकि तुम हमारी हर बात को आदेश मानकर उसका पालन कर सको और हमारा ख्याल रख सको। आज हम पर बहुत बड़ी मुसीबत आन पड़ी है तो इसमें मेरा साथ देना आपका कर्तव्य बनता है।
बांदी (हाथ जोड़कर) – महारानी आप मुझे आज्ञा दे, मैं आपके लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दूंगी।
रानी – तो तुम हमारा एक काम करो, हमारी पुरानी सहेली शीला सेठानी को बुलाकर हमारे पास ले आओ और इस बात का विशेष ध्यान रखना कि इसकी सूचना किसी ओर को ना मिल पाए।
बांदी – ठीक है रानी, आप इसकी चिंता बिल्कुल ना करें। कृपा आप थोड़ा अंधेरा होने की प्रतीक्षा करें, मैं आपकी सूचना शीला सेठानी तक अवश्य पहुंचा दूंगी।
दोस्तों, शीला सेठानी और रानी बचपन की सहेलियां थी। दोनों का पीहर एक ही था। दोनों ही सहेलियां राजा बासिक की नगरी में ब्याही गई थी। यानी दोनों का पीहर भी एक था और ससुराल भी, बस फर्क था तो सिर्फ इतना की एक रानी थी और दूसरी सेठानी। अब जैसे ही अंधेरा हुआ तो बांदी तुरंत शीला सेठानी के पास पहुंच गई और बोली – सेठानी, महारानी पर बहुत ही बड़ी विपदा आन पड़ी है। उन्होंने आपको तुरंत महल में आने को कहां है।
वार्ता-लाप के दौरान सेठानी को जैसे ही पता लगा कि यह कार्य काफि खुफिया है तो सेठानी ने बांदी को तुरंत वहां से जाने को कहां और बोली – रानी से कहना, मैं थोड़े समय बाद महल में पहुंच जाऊंगी। बांदी ने तुरंत वापिस आकर इसकी सूचना रानी को दी और बोली – रानी मैं आपका काम सकुशल कर आई हूं। थोड़ी देर में सेठानी आती ही होगी। अपनी मित्र की आने की सूचना सुन रानी काफी प्रसन्न हुई। क्योंकि केवल वही थी जो रानी की एकमात्र उम्मीद थी। करीब आधे घंटे बाद शीला सेठानी रानी के सामने हाजिर हो गई। अपनी मित्र शीला को देखकर रानी फूट-फूट कर रोने लगी।
शीला सेठानी – क्या बात है बहन, आखिर ऐसा कौन – सा दुख है जिसने तुम्हें इस कदर रोने पर मजबूर कर दिया ?
रानी (रोते हुए) – देखो शीला तुम पहले मेरी अभागन कन्या को देखो।
शीला सेठानी ने लड़की को देखा और बोली – बहन तुम्हारी राजकुमारी तो बहुत ही सुंदर है। किंतु इसमें रोने वाली क्या बात है ?
रानी ना चाहते हुए भी खुद को रोने से रोक नहीं पा रही थी लेकिन कैसे ना कैसे रानी ने राजा बासिक की कही सारी बातें शीला सेठानी को बता दी और साथ ही यह भी बताया कि राजकुमारी को आज रात ही मारने का हुकुम दिया है। शीला सेठानी को भी यह बात सुनकर काफी धक्का लगा फिर उसने आश्चर्य में रानी से पूछा – तो बहन मैं इसमें तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूं बताओ ?
रानी – शीला, मैं चाहती हूं इस लड़की को तुम अपने घर ले जाओ और वही इसका पालन – पोषण करो और इसके बदले में तुम्हारे पास जो पालतू खरगोश है उसको मार कर उसकी दोनों आंखें निकाल कर बांदी के हाथों मेरे पास पहुंचा दो ताकि मैं राजा को दिखा सकूं कि यह हमारी ही राजकुमारी की आंखें हैं।
शीला (कुछ सोचते हुए) – बहन समस्या तो काफी गंभीर है। इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए मुझे अपने पति रतन सेठ को भी इसमें शामिल करना होगा लेकिन मैं तुमसे वादा करती हूं कि तुम्हारी सहायता के लिए मैं अपने पति को अवश्य मना लूंगी।
अपनी सहेली की सहायता मिलने से अब रानी को एक उम्मीद की किरण नजर आने लगी थी रानी के गम के आंसू अब खुशी के आंसू में तब्दील होने लगे थे।
रानी – तो ठीक है मैं बांदी को भेजकर अभी सेठ जी को बुलवा देती हूं। रानी ने बांदी को तुरंत रतन सेठ को बुलाने का आदेश दिया।
कुछ ही देर बाद बांदी रतन सेठ को साथ लेकर महल आ गई और सेठ को रानी के सामने एक कुर्सी पर बैठा दिया। अब रानी ने रतन सेठ को सारी योजना समझाई। एक ऐसी योजना सुन जो राजा के खिलाफ थी रतन सेठ के पसीने छूटने लगे। वह काफी भयभीत हो गया और बोला…
रतन सेठ – रानी कृपा हमें क्षमा करें, हम इस मसले पर आपकी कोई सहायता नहीं कर सकते। यदि यह बात किसी को मालूम चल गई और दरबार में इसकी जरा सी भी भनक लग गई तो मुझे तुरंत फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा और साथ में मेरे पत्नी और बच्चों को भी। यदि राजा बासिक को इस षड़यंत्र की जरा सी भी सूचना मिल गई तो वह हमें कदापि क्षमा नहीं करेंगे।
सेठ की इन बातो से रानी के आगे एक बार उम्मीदों ने फिर से घुटने टेकने शुरू कर दिए थे। लेकिन रानी कुछ भी करके सेठ रतन को अपनी ओर करना चाहती थी क्योकि उनकी मित्र शिला और रतन ही रानी की पहली और आखरी उम्मीद थे।
रानी (रोते हुए ) – सेठ जी आप दोनों और बांदी के आलावा चौथा कोई नहीं जो मेरी सहायता कर सके। मैं आपको विश्वाश दिलाती हूं की हम चार के आलावा इस योजना का किसी को भी मालूम नहीं चलेगा। कृपा आप मेरी सहायता कीजिये।
शिला सेठानी से अपनी सहेली का इस कदर बार – बार रोना देखा नहीं गया तो उसने भी अपने पति को खूब समझाया और बोली – आप चिंता न करें हम चार के आलावा यह बात किसी पांचवे आदमी को पता नहीं लगेगी और अगर हम एक कन्या को बचा पाए तो इसमें भगवान भी हमारा भला करेंगे।
रानी के आंसू देख अब सेठ रतन का दिल भी पसीजने लगा था। अंतिम रूप से सेठ ने रानी की सहायता करने की ठानी और कन्या को लेकर सेठ व सेठानी अपने घर की तरफ चल दिए। चूँकि खरगोश की आँखे लानी थी इसलिए बांदी भी उनके साथ गयी। क्योकि राजा बासिक का महल में आने का समय हो रहा था तो बांदी तुरंत जाकर खरगोश की आँखे ले आयी और लाकर रानी को सौंप अपने घर चली गयी।
थोड़ी देर बाद राजा बासिक महल में आए और देखते हैं की रानी अपने सामने दो छोटी – छोटी आंखे रखे हुए है और उन्हे देखते हुए लगातार रोती जा रही है।
जब राजा ने रानी का हाल देखा तो उन्हे सच में यकिन हो गया की रानी ने राजकुमारी को मरवा दिया है। राजा के दिल में रानी के लिए बहुत ही गहरा प्यार उमड़ आया राजा बासिक ने जाकर रानी को गले से लगा लिया और कहने लगे – महारानी आप दुखी मत हो भगवान ने चाहा तो अगली बार आप एक राजकुमार को जन्म अवश्य देंगी।
दोस्तों राजा बासिक व रानी की रात बहुत ही जले – कटे शब्दों से कटी और सुबह हुई तो राजा ने दोनों आंखों को बहुत ही श्रद्धा से नदी में प्रवाह कर राजकुमारी का अंतिम संस्कार करवाया और अपने दरबार चले गए।
इधर सेठ रतन और सेठानी शीला ने एक पंडित को बुलाकर कन्या का नाम संस्करण करवाया तो पंडित ने कहां, “सेठ जी कन्या तो बहुत ही सुंदर है इसलिए मैं इसका नाम निहालदे रखता हूं। आप इस कन्या को दुनिया की नजरों से बचाकर रखना, इसे नजर भी लग सकती है क्योंकि यह कुछ ज्यादा ही सुंदर है।पंडित जी की बातो से सेठ व सेठानी काफि प्रसन्न हुए उन्होंने पंडित जी को दान – दक्षिणा दी और पंडित जी वहां से चले गए।
उधर राजा बासिक दरबार लगा अपने मंत्रियों और योद्धाओं को बुलाकर आगे की समस्याओं के बारे में विचार करने लगे। आखिरकार काफी विचार – विमर्श के बाद राजा ने समस्या का निष्कर्ष निकाल लिया और एक पंडित को बुलाकर राजा पारिक के नाम एक संदेश लिखवाने लगा।
प्रिय मित्र राजा पारिक,
हमें जानकर अति प्रसन्नता हुई की आपके महल में राजकुमार परीक्षित ने जन्म लिया है किंतु मित्र आपको जानकर दुख होगा की हमारे महल में एक मृत राजकुमारी ने जन्म लिया है।
हमारी तरफ से आप सभी को नमस्कार
आपका प्रिय मित्र,
राजा बासिक
इतना संदेश लिखवाकर राजा बासिक ने एक दुथ के हाथों पत्र राजा पारिक के पास पहुंचवा दिया।
दोस्तों भाग-3 में आप पढ़ेंगे की क्या राजा बासिक को राजकुमारी के जिंदा होने की भनक मिलेगीं यदि हां तो राजा कौन – सी सजा देंगे सेठ रतन और सेठानी शीला को और इन सब के परे रानी को ? क्या राजा पारिक राजा बासिक के भिजवाए संदेश पर विश्वास करेंगे या है कोई ऐसा जो खोलेगा राजा पारिक के आगे राजा बासिक के सारे राज ? जानने के लिए बने रहे हमारे ब्लोग वर्तमान सोच (wartmaansoch.com) के साथ।
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