Mulla Nasruddin Stories In Hindi
एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन घर आया, नशे में डूबा। ताले में चाबी डालने की कोशिश करता है, लेकिन ताले में चाबी नहीं जाती । छेद और चाबी को मिला नहीं पाता । हाथ धूज रहे थे । एक पुलिसवाला रास्ते पर खड़ा देख रहा था ।
आखिर उसने कहा, “नसरुद्दीन, क्या मैं सहायता करूं ? ताले में चाबी डाल दूं?
नससुद्दीन ने कहा, “अगर सहायता ही करनी है तो जरा तुम मकान को सम्भाले रखो, तो में चाबी डाल लूं ।”
नशेलची को यह नहीं दिखाई पड़ता है कि मैं हिल रहा हूं: उसे दिखाई पड़ता है कि मकान हिल रहा है – ‘मकान को सम्भाले रखो !’
एक और दिन ऐसा ही नशा करके नसरुद्दीन घर लौटता था, एक वृक्ष से टक्कर हो गई। बड़ी मुश्किल में पड़ गया । वृक्ष तो एक था, उसको दो दिखाई पड़ रहे थे । तो वह दोनों के बीच से निकलने की कोशिश करने लगा और कोई उपाय भी नहीं था, तो दोनों के बीच से निकलने की कोशिश कर रहा था । जैसे ही कोशिश करता, सिर टकरा जाता । वृक्ष तो एक ही था । अनेक बार कोशिश की । तब वह जोर से चिल्लाया कि मारे गये, यह तो बड़ा जंगल है । यह कोई एक वृक्ष नहीं है यहां, जिसमें से निकल जाओ; बहुत वृक्ष हैं ।
एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन अपनी पत्नी से पूछता है कि इस बात का पक्का कैसे होता होगा जब आदमी मर जाता है, उसको खुद को कि मैं मर गया ? वह कभी-कभी बड़े दार्शनिक सवाल उठा लेता है । पत्नी ने कहा, सिर न खाओ और बेकार की बातें मत उठाओ । जब मरोगे, तब पता चल जायेगा । हाथ-पैर ठण्डे हो जायेंगे ।
अब और क्या कहे ? एक दिन गया था जंगल में लकड़ी काटने, सर्दी के दिन थे और ठंडी हवा चल रही थी, हाथ-पैर ठंडे होने लगे । उसने कहा, मारे गए । कुल्हाड़ी नीचे पटककर जैसा कि मुर्दा आदमी को करना चाहिए। वह जल्दी से लेट गया । अपने गधे को जिस पर लकड़ी ले जानी थी उसने वुक्ष से बांध रखा था वह लेट गया, आंखें बंद कर लीं, उसने कहा, अब कुछ करने को नहीं बचा; मामला ही खत्म ।
अब घर खबर भी नहीं भेज सकते, कोई है ही नहीं, और हाथ-पैर ठण्डे हो रहे हैं जाहिर है, पत्नी ने ठीक कहा था । वह बिलकुल मर गया । तभी दो भेड़िये आ गये और उन्होंने हमला किया गधे पर । मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा “अब क्या कर सकता हुं ? काश ! आज जिन्दा होता तो यह भेड्डिये मेरे गधे के साथ ऐसा व्यवहार न कर पाते । मगर अब बात खत्म हो गई ।”
मुल्ला नसरुद्दीन एक आदमी के घर नौकर था । वह बड़ा रईस आदमी था, लेकिन मुल्ला से परेशान था । उसने एक दिन कहा कि मैं कई बार तुम्हें बता चुका, मगर अब एक सीमा होती है हर चीज की । तीन अण्डे लाने के लिए बाजार तीन दफा जाने की जरूरत नहीं है । एक ही दफे में ले आ सकते हो।
कुछ दिन बाद वह अमीर बीमार पड़ा । उसने नसरुद्दीन को कहा कि जाओ, वैद्य को बुला लाओ । नसरुद्दीन गया, वैद्य को ले आया । लेकिन वह बड़ी देर बाद लौटा तो अमीर ने कहा कि इतनी देर कैसे लगी ? उसने कहा, और सबको भी बुलाने गया था । अमीर ने कहा, “और सब कौन हैं ? मैंने तुम्हें वैद्य को बुलाने भेजा था ।’
तो उसने कहा कि वैद्य अगर कहे कि मालिश करवानी है, तो मालिश करनेवाला लाया हूं; वैद्य अगर कहे कि पुलटिस बंधवानी है तो पुलटिस बनानेवाले को लेकर आया हु; वैद्य अगर कहे कि फलां तरह की दवा चाहिए, तो कोमिस्ट को भी बुला लाया हूं; और अगर वैद्य असफल हो जाए तो मरघट ले जानेवाले को भी लाया हूं । सब मौजूद हैं । तीन अण्डे एक साथ ले आया हूं।
मुल्ला नसरुद्दीन बहुत दिन अविवाहित रहा । एक आदमी ने उससे पूछा कि क्या कारण है ? अब काफी समय हो गया । अब तुम खोज ही लो, अन्यथा समय जा रहा है ।
नसरुद्दीन ने कहा, ‘खोज में ही तो लगा हूं। लेकिन मुझे ऐसी स्त्री चाहिए, जो समग्र रूप में पूर्ण हो । सैकड़ों स्त्रियां मिलीं, लेकिन पूर्ण कोई भी नहीं । और जब तक पूर्ण न हो, तब तक मैं प्रेम न होने दूंगा ।’
तो आदमी ने कहा, ‘एक भी स्त्री न मिली तुम्हें जीवन भर की तलाश में ?”
नसरुद्दीन,- ‘नहीं, एक-दो बार मिली भी, लेकिन वह भी पूर्ण पति की तलाश में थीं ।’
मुल्ला नसरुद्दीन की 3 मजेदार हास्य कहानियां आपको कैसी लगी कृपा कॉमेंट के माध्यम से जरूर बताए ।
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